

Team The YuvaTime
11 August 2020
मशहूर शायर राहत इंदौरी कोरोनावायरस के खिलाफ जंग हार गए
मशहूर
शायर राहत इंदौरी कोरोनावायरस के खिलाफ जंग हार गए हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर के
अरबिंदो अस्पताल में मंगलवार को अंतिम सांस ली। 70 साल के राहत इंदौरी को तबियत खराब होने के बाद
अस्पताल में भर्ती किया गया था। मंगलवार शाम 4:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है
कि उन्हें तीन बार हार्ट अटैक आया था। उसी से उनका निधन हुआ है। राहत को पूरी
दुनिया में उर्दू शायर के रूप में जाना जाता था।
उन्होंने
अपने आखिरी ट्वीट में लिखा था- कोविड के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा
कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी
है। अरबिंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं। दुआ कीजिये जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा
दूं। एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फ़ोन
ना करें, मेरी खैरियत ट्विटर और
फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी।
कुमार
विश्वास ने जताया दुख
राहत
इंदौरी के निधन पर मशहूर कवि कुमार विश्वास ने कहा कि वे इकलौते ऐसे शायर थे
जिन्होंने बिना डरे हुए सरकारों के खिलाफ लिखा। वे हिंदुस्तानियत के बड़े समर्थक
थे। वे विदेशों में भारत का झंडा बुलंद करते थे।
‘सजा ना देकर अदालत बिगाड़
देती है’
राहत
इंदौरी का सबसे मशहूर शेर- नई हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है, कबूतरों को खुली छत बिगाड़
देती है, जो जुर्म करते हैं इतने बुरे
नहीं होते, सज़ा ना देकर अदालत बिगाड़
देती है। राहत ने लिखा था- गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं में आ गया हु बता इंतज़ाम
क्या क्या हैं फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं तुझे पता
नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं।
राहत साहब ने लिखा था-
अगर
ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब
धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी
आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ
पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
अगर
खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है
ये सब
धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी
आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ
पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं
जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी
तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे
मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे
मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज
साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार
हैं जाती मकान थोड़ी है
सभी
का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी
के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है